15-12-04   ओम शान्ति    अव्यक्त बापदादा    मधुबन

“बापदादा की विशेष आशा - हर एक बच्चा दुआयें दे और दुआयें ले”

आज बापदादा अपने चारों ओर के बेफिक्र बादशाहों की सभा को देख रहे हैं। यह राजसभा सारे कल्प में इस समय ही है। रूहानी फखुर में रहते हो इसलिए बेफिक्र बादशाह हो। सवेरे उठते हैं तो भी बेफिक्र, चलते फिरते, कर्म करते भी बेफिक्र और सोते हो तो भी बेफिक्र नींद में सोते हो। ऐसे अनुभव करते हो ना! बेफिक्र हैं? बने हैं वा बन रहे हैं? बन गये हैं ना! बेफिक्र और बादशाह हो, स्वराज्य अधिकारी इन कर्मेन्द्रियों के ऊपर राज्य करने वाले बेफिक्र बादशाह हो अर्थात् स्वराज्य अधिकारी हो। तो ऐसी सभा आप बच्चों की ही है। कोई फिक्र है? है कोई फिक्र? क्योंकि अपने सारे फिक्र बाप को दे दिये हैं। तो बोझ उतर गया ना। फिक्र खत्म और बेफिक्र बादशाह बन अमूल्य जीवन अनुभव कर रहे हो। सबके सिर पर पवित्रता के लाइट का ताज स्वत: ही चमकता है। बेफिक्र के ऊपर लाइट का ताज है, अगर कोई फिकर करते हो, कोई बोझ अपने ऊपर उठा लेते हो तो मालूम है सिर पर क्या आ जाता है? बोझ के टोकरे आ जाते हैं। तो सोचो ताज और टोकरे दोनों सामने लाओ, क्या अच्छा लगता? टोकरे अच्छे लगते या लाइट का ताज अच्छा लगता? बोलो, टीचर्स क्या अच्छा लगता है? ताज अच्छा लगता है ना! सभी कर्मेन्द्रियों के ऊपर राज्य करने वाले बादशाह हो। पवित्रता लाइट का ताजधारी बनाती है इसलिए आपके यादगार जड़चित्रों में डबल ताज दिखाया है । द्वापर से लेकर बादशाह तो बहुत बने हैं, राजे तो बहुत बने हैं लेकिन डबल ताजधारी कोई नहीं बना। बेफिक्र बादशाह स्वराज्य अधिकारी भी कोई नहीं बना क्योंकि पवित्रता की शक्ति मायाजीत, कर्मेन्द्रियजीत विजयी बना देती है। बेफिक्र बादशाह की निशानी है - सदा स्वयं भी सन्तुष्ट और औरों को भी सन्तुष्ट करने वाले। कभी भी कोई अप्राप्ति है ही नहीं जो असनुष्ट हो। जहाँ अप्राप्ति है वहाँ असन्तुष्टता है। जहाँ प्राप्ति है वहाँ सन्तुष्टता है। ऐसे बने हो? चेक करो - सदा सर्वप्राप्ति स्वरूप, सन्तुष्ट हैं? गायन भी है- अप्राप्त नहीं कोई वस्तु देवताओं के नहीं लेकिन ब्राह्मणों के खज़ाने में। सन्तुष्टता जीवन का श्रेष्ठ श्रृंगार है, श्रेष्ठ वैल्यू है। तो सन्तुष्ट आत्मायें हो ना!

बापदादा ऐसे बेफिक्र बादशाह बच्चों को देख खुश होते हैं। वाह मेरे बेफिक्र बादशाह वाह! वाह! वाह! हो ना! हाथ उठाओ जो बेफिक्र हैं। बेफिक्र? फिकर नहीं आता? कभी तो आता है? नहीं? अच्छा है। बेफिक्र बनने की विधि बहुत सहज है, मुश्किल नहीं है। सिर्फ एक शब्द की मात्रा का थोड़ा-सा अन्तर है। वह शब्द है - मेरे को तेरे में परिवर्तन करो। मेरा नहीं तेरा । तो हिन्दी भाषा में मेरा भी लिखो और तेरा भी लिखो तो क्या फर्क होता है, में और ते का? लेकिन फर्क इतना हो जाता है। तो आप सब मेरे-मेरे वाले हो या तेरे-तेरे वाले हो? मेरे को तेरे में परिवर्तन कर लिया? नहीं किया हो तो कर लो। मेरा-मेरा अर्थात् दास बनने वाला, उदास बनने वाला। माया के दास बन जाते हैं ना तो उदास तो होंगे ना! उदासी अर्थात् माया के दासी बनने वाले। तो आप मायाजीत हो, माया के दास नहीं। तो उदासी आती है? कभी-कभी टेस्ट कर लेते हो, क्योकि 63 जन्म उदास रहने का अभ्यास है ना! तो कभी-कभी वह इमर्ज हो जाती है। इसलिए बापदादा ने क्या कहा? हर एक बच्चा बेफिक्र बादशाह है। अगर अभी भी कहाँ कोने में कोई फिकर रख दिया हो तो दे दो। अपने पास बोझ क्यों रखते हो? बोझ रखने की आदत पड़ गई है? जब बाप कहते हैं बोझ मेरे को दे दो, आप लाइट हो जाओ, डबल लाइट। डबल लाइट अच्छा या बोझ अच्छा? तो अच्छी तरह से चेक करना। अमृतवेले जब उठो तो चेक करना कि विशेष वर्तमान समय सबकॉनशस में भी कोई बोझ तो नहीं है? सबकॉनशस तो क्या स्वप्न मात्र भी बोझ का अनुभव नहीं हो। पसन्द तो डबल लाइट है ना! तो विशेष यह होम वर्क दे रहे हैं, अमृतवेले चेक करना। चेक करना तो आता है ना, लेकिन चेक के साथ, सिर्फ चेक नहीं करना चेंज भी करना। मेरे को तेरे में चेंज कर देना। मेरा, तेरा। तो चेक करो और चेंज करो क्योकि बापदादा बार-बार सुना रहे हैं - समय और स्वयं दोनों को देखो। समय की रफ्तार भी देखो और स्वयं की रफ्तार भी देखो। फिर यह नहीं कहना कि हमको तो पता ही नहीं था, समय इतना तेज चला गया। कई बच्चे समझते हैं कि अभी थोड़ा ढीला पुरुषार्थ अगर है भी तो अन्त में तेज कर लेंगे। लेकिन बहुतकाल का अभ्यास अन्त में सहयोगी बनेगा। बादशाह बनके तो देखो। बने हैं लेकिन कोई बने हैं, कोई नहीं बने हैं। चल रहे हैं, कर रहे हैं, सम्पन्न हो जायेंगे...। अब चलना नहीं है, करना नहीं है, उड़ना है। अभी उड़ने की रफ्तार चाहिए। पंख तो मिल गये है ना! उमंग-उत्साह और हिम्मत के पंख सबको मिले हैं और बाप का वरदान भी है, याद है वरदान? हिम्मत का एक कदम आपका और हजार कदम मदद बाप की, क्योंकि बाप का बच्चों से दिल का प्यार है। तो प्यार वाले बच्चों की बाप मेहनत नहीं देख सकते। मुहब्बत में रहो तो मेहनत समाप्त हो जायेगी। मेहनत अच्छी लगती है क्या? थक तो गये हो। 63 जन्म भटकते, भटकते मेहनत करते थक गये थे और बाप ने अपनी मुहब्बत से भटकने के बजाए तीन तख्तके मालिक बना दिया। तीन तख्त जानते हो? जानते क्या हो लेकिन तख्त निवासी हो। अकालतख्त निवासी भी हो, बापदादा के दिलतख्त नशीन भी हो और भविष्य विश्व राज्य के तख्तनशीन भी हो। तो बापदादा सभी बच्चों को तख्तनशीन देख रहे हैं। ऐसा परमात्म दिलतख्त सारे कल्प में अनुभव नहीं कर सकेंगे। क्या समझते हैं पाण्डव? बादशाह हैं? हाथ उठा रहे हैं। तख्त नहीं छोडना। देहभान में आये अर्थात् मिट्टी में आ गये। यह देह मिट्टी है। तख्त नशीन बने तो बादशाह बने।

बापदादा सभी बच्चों के पुरुषार्थ का चार्ट चेक करते हैं। चार ही सबजेक्ट में कौन-कौन कहाँ तक पहुचा है? तो बापदादा ने हर एक बच्चे का चार्ट चेक किया कि बापदादा ने जो भी खज़ाने दिये है वह सर्व खज़ाने कहा तक जमा किये हैं? तो जमा का खाता चेक किया क्योंकि खज़ाने बाप ने सबको एक जैसे, एक जितना दिया है, कोई को कम, कोई को ज्यादा नहीं दिया है। खज़ाने जमा होने की निशानी क्या है? खज़ाने का तो मालूम ही है ना, सबसे बडा खज़ाना है श्रेष्ठ संकल्प का खज़ाना। संकल्प भी खज़ाना है, तो वर्तमान समय भी बहुत बडा खज़ाना है क्योकि वर्तमान समय में जो कुछ प्राप्त करने चाहे, जो वरदान लेने चाहे, जितना अपने को श्रेष्ठ बनाने चाहे, उतना अभी बना सकते हैं। अब नहीं तो कब नहीं। जैसे संकल्प के खज़ाने को व्यर्थ गँवना अर्थात् अपने प्राप्तियों को गँवाना। ऐसे ही समय के एक सेकण्ड को भी व्यर्थ गँवाया, सफल नहीं किया तो बहुत गँवाया। साथ में ज्ञान का खज़ाना, गुणों का खज़ाना, शक्तियों का खज़ाना और हर आत्मा और परमात्मा द्वारा दुआओं का खज़ाना। सबसे सहज है पुरुषार्थ में “दुआयें दो और दुआयें लो”।  सुख दो और सुख लो, न दुःख दो न दुख लो। ऐसे नहीं कि दुःख दिया नहीं लेकिन ले लो तो भी दुखी तो होंगे ना! तो दुआयें दो, सुख दो और सुख लो। दुआयें देना आता है? आता है? लेना भी आता है? जिसको दुआयें लेना और देना आता है वह हाथ उठाओ। अच्छा - सभी को आता है? अच्छा - डबल फॉरेनर्स को भी आता है? मुबारक है । देने आता है लेने आता है तो मुबारक है। सभी को मुबारक है, अगर लेने भी आता और देने भी आता फिर और चाहिए क्या। दुआयें लेते जाओ दुआयें देते जाओ, सम्पन्न हो जायेंगे। कोई बददुआ देवे तो क्या करेंगे? लेंगे? बददुआ आपको देता है तो आप क्या करेंगे? लेंगे? अगर बद-दुआ मानो ले लिया तो आपके अन्दर स्वच्छता रही? बद-दुआ तो खराब चीज है ना! आपने ले ली, अपने अन्दर स्वीकार कर ली तो आपका अन्दर स्वच्छ तो नहीं रहा ना! अगर जरा भी डिफेक्ट रहा तो परफेक्ट नहीं बन सकते। अगर खराब चीज़ कोई देवे तो क्या आप ले लेंगे? कोई बहुत सुन्दर फल हो लेकिन आपको खराब हुआ दे देवे, फल तो बढिया है फिर ले लेंगे? नहीं लेंगे ना कि कहेंगे अच्छा तो है, चलो दिया है तो ले ले। कभी भी कोई बद-दुआ दे तो आप मन में अन्दर धारण नहीं करो। समझ में आता है यह बद-दुआ है लेकिन बद-दुआ अन्दर धारण नहीं करो, नहीं तो डिफेक्ट हो जायेगा। तो अभी यह वर्ष, अभी थोड़े दिन पड़े हैं पुराने वर्ष में लेकिन अपने दिल में दृढ़ संकल्प करो, अभी भी किसकी बद-दुआ मन में हो तो निकाल दो और कल से दुआ देंगे, दुआ लेंगे। मंजूर है? पसन्द है? पसन्द है या करना ही है? पसन्द तो है लेकिन जो समझते है करना ही है, कुछ भी हो जाये, लेकिन करना ही है, वह हाथ उठाओ। करना ही है।

जो स्नेही सहयोगी आज आये हैं वह हाथ उठाओ। तो जो स्नेही सहयोगी आये हैं, बापदादा उन्हों को मुबारक दे रहे हैं क्योंकि सहयोगी तो हो, स्नेही भी हो लेकिन आज एक और कदम उठाके बाप के घर में वा अपने घर में आये हो, तो अपने घर में आने की मुबारक है। अच्छा जो स्नेही सहयोगी आये हैं वह भी समझते हैं कि दुआयें देंगे और लेंगे? समझते हो? हिम्मत रखते हो? जो स्नेही सहयोगी हिम्मत रखते हैं, मदद मिलेगी, लम्बा हाथ उठाओ। अच्छा। फिर तो आप भी सम्पन्न हो जायेंगे, मुबारक हो। अच्छा जो गाडली स्टूडेंट रेग्युलर हैं, चाहे ब्राह्मण जीवन में बापदादा से मिलने पहली बार आये हैं लेकिन अपने को ब्राह्मण समझते हैं, रेग्युलर स्टूडेंट समझते हैं वह अगर समझते हैं कि करना ही है, वह हाथ उठाओ। दुआ देंगे, दुआ लेंगे? करेंगे? टीचर्स उठा रही हैं? यह कैबिन वाले नहीं उठा रहे हैं। यह समझते हैं हम तो देते ही है। अभी करना ही है। कुछ भी हो जाए, हिम्मत रखो। दृढ संकल्प रखो। अगर मानो कभी बद-दुआ का प्रभाव पड भी जावे ना तो 10 गुणा दुआयें ज्यादा दे करके उसको खत्म कर देना। एक बद-दुआ के प्रभाव को 10 गुणा दुआयें देके हल्का कर देना फिर हिम्मत आ जायेगी। नुकसान तो अपने को होता है ना, दूसरा तो बद-दुआ देके चला गया लेकिन जिसने बद-टुआ समा ली, दुःखी कौन होता है? लेने वाला या देने वाला? देने वाला भी होता है लेकिन लेने वाला ज्यादा होता है। देने वाला तो अलबेला होता है।

आज बापदादा अपने दिल की विशेष आशा सुनार हे हैं। बापदादा की सभी बच्चों के प्रति, एक-एक बच्चे के प्रति चाहे देश, चाहे विदेश में हैं, चाहे सहयोगी हैं क्योकि सहयोगियों को भी परिचय तो मिला है ना। तो जब परिचय मिला है तो परिचय से प्राप्ति तो करनी चाहिए ना। तो बापदादा की यही आशा है कि हर बच्चा दुआयें देता रहे। दुआओं का खज़ाना जितना जमा कर सको उतना करते जाओ क्योंकि इस समय जितनी दुआयें इकट्ठी करेंगे, जमा करेंगे उतना ही जब आप पूज्य बनेंगे तो आत्माओं को दुआयें दे सकेंगे। सिर्फ अभी दुआयें आपको नहीं देनी है, द्वापर से लेके भक्तों को भी दुआयें देनी है। तो इतना दुआओं का स्टॉक जमा करना है। राजा बच्चे हो ना। बापदादा हर एक बच्चे को राजा बच्चा देखते हैं। कम नहीं। अच्छा।

सेवा का टर्न – दिल्ली ज़ोन:- अच्छा दिल्ली वाले सभी उठो। दिल्ली का नाम सुन करके सब खुश होते हो ना! क्योंकि कल्प-कल्प की आपकी राजधानी है। वैसे देखो ड्रामा में राजधानी दिल्ली तो है ही लेकिन सेवा की आरम्भ भी दिल्ली से हुई। आदि से लेकर भिन्न-भिन्न सेवाओं की नई-नई इन्वेनशन भी दिल्ली वालों ने निकाली है। औरों ने भी निकाली है लेकिन दिल्लीवालों ने भी निकाली है। यह यज्ञ सेवा का चांस मिला है। यज्ञ सेवा का फल बहुत बडा है क्योंकि यज्ञ सेवा अर्थात् ब्राह्मण आत्माओं की सेवा। भक्ति में तो 8 - 10 ब्राह्मणों को भोजन खिलाया, कुछ किया तो समझते हैं बडा पुण्य हो गया लाकन यहाँ दस हजार, 12 हजार, 8 हजार ब्राह्मणों की सेवा का चांस मिलता है। यज्ञ पिता के यज्ञ की सेवा है। ब्रह्मा भोजन का, यज्ञ का कणा-कणा बहुत वैल्यूबुल है और आप ब्राह्मणों को वह ब्रह्मा भोजन कितना प्यार से प्राप्त होता है। यह ब्रह्मा भोजन कम नहीं है। जिसके भी भाग्य में ब्रह्मा भोजन होता है उनको पता नहीं होता है कि इसका फल क्या मिलना है लेकिन मिलता जरूर है। इसलिए भक्ति में भी कहते हैं शिव के भण्डारे भरपूर काल कटक सब दूर। तो खाने वाले को कितना फल होगा। अच्छा है, दिल्ली में सेवा के प्लैन तो बनाते रहते हैं लेकिन एक विशेषता बापदादा ने सुनी, जो अच्छी लगी कि दिल्लीवालों ने अपने निमित्त बने हुए प्रेसिडेंट की सेवा बहुत अच्छी की है और वह निमित्त बन औरों को भी मैसेज देता रहता है। तो अच्छा माइक तैयार किया है ना, पॉवरफुल। अभी दिल्ली वालों को सेवा का और नया प्लैन निकालना चाहिए। वा कोई भी जोन, बॉम्बे भी कर सकता, हर एक जोन में कोई न कोई प्लैन की इन्वेंशन करने वाला है। अभी मेगाप्रोग्राम भी हो गये, वह भी कॉमन हो गये, देखो, यह विशेष आपके दादी की इन्वेनशन थी। और कितना सहज हो रहा है। पहले समझते थे लाख को इकट्ठा करना बहुत मेहनत की बात है लेकिन अभी जहाँ भी हुआ है, बडी दिल से किया है और बड़ी सफलता मिली है। बापदादा नाम नहीं लेते लेकिन रिजल्ट देखी गई कि जितनी बडी दिल से किया है उतनी सफलता मिली है। सफलता तो मिलनी है ही। सफलता तो ब्राह्मण आत्माओ के गले का हार है। जन्म सिद्ध अधिकार है। तो दिल्ली वालो को अभी कुछ नया करना चाहिए। दिल्ली वाले ठीक है ना! इबेबान करने वाले भी बहुत है। अच्छा है। हर एक वर्ग वालों ने जो भी सेवा अभी तक की है, अच्छी की है। अभी और अच्छे ते अच्छी करेंगे। अच्छी की है और अच्छे ते अच्छी होती रहेगी। आखिर साइलेन्स की शक्ति को साइंस की शक्ति पर विजय तो प्राप्त करनी ही है। अभी साइंस वाले भी सम्पर्क में आ रहे हैं। जो भी सम्बन्ध-सम्पर्क में आते हैं, परिचय मिल गया है, समझते हैं कार्य अच्छा है, उन्हों को ज्ञान का कणा-दाना भी बुद्धि में स्वीकार हुआ, उसका फल जरूर मिलेगा। ज्ञान का कणा-दाना भी विनाश नहीं होता है, अविनाशी फल है। अभी दिल्ली वालों ने समझा ना - क्या करना है? और माइक तैयार करो। चार-पाँच तैयार किया है, बापदादा के पास लिस्ट पँहुची है लेकिन और तैयार करो। सभी जोन जो आज आये हैं। सेवा का सबूत लेके आये हैं ना।

स्नेही सहयोगी जो आये हैं ना वह उठो, थोडा-सा खडे हो जाओ। बैठे-बैठे तो थक गये होगे अभी थोडा खड़े हो जाओ। अच्छा - बहुत अच्छे- अच्छे आये हैं। आप लोगों को पता है कि आप किसके मैसेन्जर बने हुए हो? गॉडली मैसेन्जर बने हुए हो। गॉड का परिचय देते हो ना! तो गॉडली मैसेन्जर हो। इतनी भी सेवा करते हो उसका फल आपका निश्चित है, कोई टाल नहीं सकता। खुशखबरी यह है कि आप जो गॉडली मैसेन्जर बन औरों को सन्देश देते हो उनको अपनी नई दुनिया की गेटपास तो मिल गई है। केवल गेट पास मिली है, अभी सीट की पास लेनी है। अच्छा है जो भी मिलता है उनको रास्ता तो दिखाते हो ना। तो पुण्य का काम तो कर रहे हो ना! तो पुण्य का खाता कभी खत्म नहीं होता है। तो पुण्य आत्मायें तो बन गये हो लेकिन अभी सिर्फ पुण्य आत्मा नहीं बनना, थोड़े में खुश होने वाले हो क्या! थोडे में खुश होने वाले हो या सब कुछ लेना है? सब कुछ लेना है। तो पुण्य आत्मा तो बने हो, पुण्य का काम किया है ना, कर रहे हो अभी भी करते रहेंगे लेकिन जो बाप चाहता है कि मेरे बच्चे राजा बच्चे बन जायें, स्वराज्य अधिकारी बन जायें। तो बनेंगे ना? बनना है ना! बनना है? कांध तो हिलाओ। बहुत अच्छा किया। आप मेहमान नहीं हो, गेस्ट नहीं हो, होस्ट हो। अपने घर में आये हो। इतना बड़ा घर आपका अच्छा लगा ना! अपना घर अच्छा लगा तो अभी आते रहना। यहाँ रिवाज है, जो आते हैं ना और उसको जाना तो पड़ता है, तो जब जाते हैं ना तो उसको दादी गो सून, कम सून की टोली खिलाती है। आपको भी मिलेगी। तो गो सून कम सून, अपने घर में आते रहना, क्योंकि आना ही है। आना ही है ना! बहुत अच्छा। सभी बच्चे भी आपको देख करके खुश हो रहे हैं क्योंकि सेवा का प्रत्यक्ष सबूत लाये हैं ना, तो सभी खुश हो रहे हैं। जिन्होंने भी आपको लाया है वह खुश हो रहे हैं और दस हजार ब्राह्मण आत्माओं के द्वारा आपको मुबारक हो, मुबारक हो। सब ठीक है? आराम से हैं? भले पधारे। फर्स्ट ग्रूप में आये हो। फर्स्ट ग्रूप का भी तो महत्व होता है ना! अच्छा - बैठ जाओ, थक गये होंगे।

बिजनेस विंग - बिजनेस विंग वाले उठो। बिजनेस विंग वालों ने कौन-सा माइक तैयार किया है? किया है? किया है ना? क्योकि बिजनेस वालों को बिजनेस करने, कराने की आदत तो है ना। तो बाप से बिजनेस कराना भी बिजनेस ग्रूप को सहज है। अच्छा है। बापदादा ने देखा है कि जब से वर्गों की सेवा के लिए वर्ग बने हैं, तो हर एक को सेवा का विस्तार करने का उमंग-उत्साह अच्छा है। अभी और भी बापदादा ने तो कहा ना, हर बात में बापदादा को और तीव्रता चाहिए। पुरुषार्थ में भी तो सेवा में भी। भागदौड तो कर रहे हैं, समाचार मिलता रहता है लेकिन अभी समय की रफ्तार समान थोड़ा और रफ्तार को तेज करो क्योंकि अचानक कुछ भी हो सकता है। तो उल्हना नहीं रह जाए। बापदादा को यही है कि कोई भी आत्मा का उल्हना नहीं रह जाए कि हमें तो मालूम ही नहीं है। बाकी बापदादा को सेवा के समाचार मिलते रहते हैं। अच्छा कर रहे हैं। अपने-अपने एरिया में कोई न कोई प्रोग्राम बनाते ही होंगे ना! चारों ओर धूम मचालो। प्रभु सन्देश, प्रभु सन्देश की धूम मचा दो। अच्छा।

सोशल विंग:- सोशल विंग वालों ने जो भी सोशल वर्कर्स है उन सबके जो भी स्थान बने हुए है, उन्ही को सन्देश दे दिया है? जो भी जिस भी स्टेट से आते हो, उस स्टेट वालों की जिम्मेवारी है कि उस स्टेट में आपके वर्ग का कोई सन्देश से रह नहीं जाए। करते तो हो, बापदादा को मालूम है, चारों ओर प्रोग्राम बने हुए भी होते हैं लेकिन हर स्टेट के जो हर वर्ग वाले हैं उनको कम से कम अपनी स्टेट में ऐसी सेवा करनी चाहिए जो कोई रह नहीं जाये। तो हर स्थान पर कर तो रहे हो, होता रहता है। बापदादा ने कहा, रिपोर्ट पहुँचती है, कर रहे हैं और थोडा तेज करो क्योंकि बापदादा समय की रफ्तार को देख इशारा दे रहा है। बाकी अच्छी सेवा कर रहे हो । मुबारक हो। और भी अच्छे ते अच्छी करते रहेंगे।

ट्रांसपोर्ट विंग:- कितनी आत्माओं को मंज़िल तक पँहुचाया है? क्योंकि ट्रांसपोर्ट की तो जिम्मेवारी है मंज़िल पर पहुँचाना। बापदादा खुश है, सेवा का उमंग अच्छा है। सबको अच्छा चांस मिल जाता है । सेवा की मीटिंग भी हो जाती और फिर मिलन भी हो जाता, डबल कमाई हो जाती है। सभी वर्ग वाले होशियार हैं, डबल चांस वाले हैं। अभी मंसा सेवा को भी और तीव्र करो क्योंकि वाणी की सेवा से सारे विश्व तक पहुँचने में टाइम लगता है लेकिन मंसा सेवा फास्ट सेवा है और पॉवरफुल भी है और मेहनत भी कम है, सिर्फ पॉवरफुल स्टेज बनानी है। तो सदैव मंसा, वाचा, कर्मणा तीनों सेवा इन्हीं कर सकते हो, एक समय में। कर्मणा अर्थात् सम्बन्ध-सम्पर्क में जो आते हैं उन्हों के सम्बन्ध में आना भी कर्मणा है। सम्बन्ध द्वारा भी बहुत सेवा होती है। तो सभी वर्ग वालों को जैसे और प्लैन बनाते हो, सेवा के साधन बनाते हो, ऐसे अपने- अपने वर्ग में मंसा सेवा की भी कोई विधि बनाओ जो विशेष मंसा सेवा भी आत्माओं की हो। अच्छा। मुबारक है, अच्छी सेवा है। बापदादा ने कह दिया है सभी वर्गों की रिजल्ट अच्छी है।

यूथ ग्रुप:- यूथ ग्रूप को मुबारक हो। देखो, थोडे समय में आर्डर मिलने से पहुँच गये हो। इसकी विशेष मुबारक है। अच्छा यहाँ तो आये लेकिन मंसा सेवा की? जो विशेष आत्मायें आनी थी उन्हीं की यहाँ बैठे मंसा सेवा की? कारण अकारण आ नहीं सके लेकिन मंसा सेवा से उन आत्माओं को कुछ पहुँचाया कि सिर्फ मीटिंग की? वह आत्मायें भी याद तो करती होगी, आना था, पहुँचना था। अच्छा है यूथ ग्रूप और बढता जाए । तो भारत की समस्या खत्म हो जाए। यूथ का कर्तव्य है अपने-अपने स्थान के यूथ को ब्राह्मण यूथ बनावे। भ्रष्टाचार से बचायें, श्रेष्ठाचारी बनायें। अभी देखो गवर्मेन्ट तक भी आवाज पहुँचा है लेकिन स्पष्ट रिजल्ट उनकी बुद्धि में क्लीयर हो जाए, तो उन्हों को और नजदीक लाना पडेगा। हर शहर के, स्थान के जो भ्रष्टाचार, झगड़ा करने वाले यूथ ग्रूप है उन्हों की सेवा का कुछ न कुछ तरीका बनाना चाहिए। कोई ऐसा यूथ का परिवर्तन करके दिखाओ। हर एक शहर में यूथ ग्रूप तो होता ही है ना, तो हर एक शहर वाले कोई दो तीन यूथ ग्रूप को परिवर्तन करके दिखावे जो सबके ध्यान पर आ जाये। जैसे जेल में सेवा की थी तो कई परिवर्तन हुए जो जहाँ-तहाँ अनुभव सुनाते थे, ऐसे ही कोई यूथ ग्रूप की जो एसोशियेशन है उसका परिवर्तन करके दिखाओ। और वह यूथ, दूसरे यूथ को अनुभव सुनावे। कर रहे हैं, अच्छा है। लेकिन अभी ऐसा कोई एक्साम्पल निकालो, जो अति झगडालू हो, उसको ठीक करके दिखाओ, नामीग्रामी हो। है ना हिम्मत? ऐसा कोई परिवर्तन करके दिखाओ, जैसे बापदादा कहते हैं ना माइक बनाओ, वैसे आप झगडालू को शान्तिमय बनाके एक्साम्पल दिखाओ, ऐसा तप बनाके यहाँ लाना। देखो कितने यूथ आये है, बहुत है। अच्छे- अच्छे है और सब तरफ के हैं। फरिनर्स भी है। अच्छा है। अभी कोई आवाज फैलाओ। थोड़ा- थोडा सेवा तो कर रहे हो, खाली तो नहीं बैठे हो लेकिन कोई ऐसे जैसे बॉम्ब डालते हैं ना तो आवाज हो जाता है, ऐसे कोई आत्मिक बॉम्ब लगाओ। एटम बॉम्ब नहीं, आत्म बॉम्ब। अच्छा - मुबारक हो बहुत। टाइम पर पहुँचने की मुबारक हो। अच्छा।

डबल विदेशी:- हाथ हिलाओ। सभी ने देखा। डबल विदेशियों को बापदादा सदा डबल मुबारक देते हैं क्योंकि मैजारिटी डबल विदेशियों की विशेषता है कि वह डबल कार्य कर रहे हैं। लौकिक भी कर रहे हैं और सेन्टर भी चला रहे हैं। चाहे सेन्टर चला रहे हैं, चाहे सेन्टर पर सहयोगी है लेकिन मैजारिटी डबल काम कर रहे हैं। वैसे भारत में भी है लेकिन यहाँ मैजारिटी ऐसे हैं। और बापदादा कभी-कभी जानबूझ के सीन देखते हैं, बापदादा के पास नेचरल टी. वी. है, यह टी. वी. नहीं। देखते हैं कैसे भागते हैं, नाश्ता किया, यह किया वह किया, भागा। अच्छा लगता है। ऐसे ही पुरुषार्थ में भी डबल मार्क्स लेना। लेने वाले हैं और परिवर्तन किया भी है और करने का उमंग भी अच्छा है। बापदादा को डबल विदेशियों की नेचरल नेचर एक बहुत अच्छी लगती है कि साफ दिल है। जो भी होगा छिपायेंगे नहीं, स्पष्ट। गिरेंगे तो भी स्पष्ट, चढेंगे तो भी स्पष्ट। तो साफ दिल बापदादा को प्रिय लगती है। अच्छा है। डबल मुबारक हो। आप लोगों को भी देखकर सभी खुश होते हैं। अगर कोई भी टर्न में डबल विदेशी नहीं होते हैं ना तो संगठन में कमी लगती है इसलिए बहुत अच्छा है। हर ग्रूप में आते रहे। शोभा है ना। हर एक बच्चा इस दरबार का श्रृंगार है। तो उडते रहना, चलना नहीं, दौडना नहीं, हाई जम्प नहीं देना, उड़ना। उड़ने वाले। देखो डबल विदेशी स्थूल में भी उड़ने के बिना पहुँच नहीं सकते हैं, उडके ही आना पडता है। तो इस सम्पन्न बनने की मंज़िल पर पहुँचने में भी उड़ती कला में रहना। अच्छा - मुबारक हो। अच्छा -

ऐसे नहीं कि जो किसी भी वर्ग में नहीं उठे उन्हों को मुबारक नहीं है, उन्हों को पदमगुणा मुबारक है। और जो दूर बैठे सुन रहे हैं, देख रहे हैं, कोई सुनने वाले हैं, कोई देखने और सुनने वाले हैं, दोनो को, चारों ओर के बच्चों को बहुत-बहुत-बहुत-बहुत मुबारक और याद क्योंकि हर सीजन में, हर टर्न में सभी पत्र बहुत भेजते हैं। तो बापदादा को वह पत्र पहुँचते हैं, ऐसे ही नहीं जाते हैं, पहुँचते हैं। कोई प्यार के पत्र भेजते, कोई अपने पुरुषार्थ के पत्र भेजते, कोई सेवा के पत्र भेजते, कोई प्रॉमिस के पत्र भेजते हैं, प्रॉमिस भी बहुत अच्छी- अच्छी करते हैं। तो बापदादा के पास सब प्रकार के और सब तरफ से पत्र पहुँच जाते हैं। आपके मुआफिक बापदादा पत्र बैठ पढते तो नहीं हैं लेकिन पहुँच जाते हैं दिल में। पत्रों का पोस्ट आफिस बापदादा की दिल में है, तो वहाँ पहुँच जाते हैं।

अच्छा - बापदादा की आशा अण्डरलाइन की? जिसने की वह हाथ उठाओ, कर ली। अच्छा। बापदादा ने 6 मास का होम वर्क भी दिया है, याद है? टीचर्स को याद है? लेकिन यह दृढ संकल्प की रिजल्ट एक मास की देखेंगे क्योंकि नया वर्ष तो जल्दी शुरू होने वाला है। 6 मास का होम वर्क अपना है, यह एक मास दृढ संकल्प की रिजल्ट देखेंगे। ठीक है ना? टीचर्स एक मास ठीक है? पाण्डव ठीक है?

अच्छा - जो पहली बारी मधुबन में पहुँचे हैं, वह हाथ उठाओ। बहुत अच्छा। देखो, बापदादा को सदा नये बच्चे बहुत प्यारे लगते हैं। लेकिन नये बच्चे जैसे वृक्ष होता है ना, उसमें जो छोटे-छोटे पत्ते निकलते हैं वह चिडियों को बहुत प्यारे लगते हैं, ऐसे नये-नये जो बच्चे हैं तो माया को भी नये बच्चे बहुत प्यारे लगते हैं। इसलिए हर एक जो नये हैं, वह हर रोज अपने नवीनता को चेक करना, आज के दिन अपने में क्या नवीनता लाई? कौन सा विशेष गुण, कौन सी शक्ति अपने में विशेष धारण की? तो चेक करते रहेंगे, स्वयं को परिपक्व करते रहेंगे तो सेफ रहेंगे। अमर रहेंगे। तो अमर रहना, अमर पद पाना ही है। अच्छा।

चारों ओर के बेफिक्र बावशाहों को, सदा रूहानी फूखुर में रहने वाले श्रेष्ठ आत्माओं को, सदा प्राप्त हुए खज़ानों को जमा खाते में बढ़ाने बाले तीव्र पुरुषार्थी आत्माओं को, सदा एक समय में तीनों प्रकार की सेवा करने वाले श्रेष्ठ सेवाधारी बच्चों को बापदादा का यादप्यार, पदम-पदम-पदमगुणा यादप्यार और नमस्ते।

जयपुर में 19 तारीख को मेगा प्रोग्राम है, उसका समाचार बापदादा ने सुना

बापदादा ने समाचार सुना कि राजस्थान की राजधानी में मेगा प्रोग्राम हो रहा है। पूना का भी बहुत अच्छा हुआ। मैंगलोर का भी बहुत अच्छा हुआ। सभी जगह का तो बता दिया बहुत अच्छा हुआ। अभी जो होने वाला है, वह भी अच्छा होगा। अच्छा - जयपुर का मेला और ही राजस्थान में आवाज ज्यादा फैलायेगा क्योंकि जहाँ हेडक्वार्टर है, तो हेडक्वार्टर का आवाज भी हेड होना चाहिए ना। तो अच्छा है, आपस में मीटिंग कर रहे हैं सभी मिल करके करेंगे, सफलता तो गले का हार है ही। तो हिम्मत है और विशेष मधुबन की मदद है। बापदादा की तो मदद है ही। इसलिए सदा सफलता है, इस निशि्चत निश्चय से बढ़ते चलो। ठीक है ना! पूने वालो को भी बहुत-बहुत मुबारक हो और मैंगलोर में तो छोटे-छोटियों ने कमाल कर दिखाई। तो छोटों ने सुभानअल्ला का प्रैक्टिकल सबूत दिखाया। इसलिए सभी को मुबारक हो । मुबारक हो।

अच्छा – ओम शान्ति ।